Facts About Shodashi Revealed

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The murti, that's also noticed by devotees as ‘Maa Kali’ presides above the temple, and stands in its sanctum sanctorum.  Here, she's worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.

ह्रीं श्रीं क्लीं परापरे त्रिपुरे सर्वमीप्सितं साधय स्वाहा॥

Her representation is just not static but evolves with inventive and cultural influences, reflecting the dynamic mother nature of divine expression.

Shodashi is deeply linked to the path of Tantra, wherever she guides practitioners toward self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she is celebrated as being the embodiment of Sri Vidya, the sacred know-how that brings about enlightenment.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥

प्रणमामि महादेवीं परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने Shodashi वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥

देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥

Celebrations like Lalita Jayanti spotlight her importance, in which rituals and offerings are made in her honor. The goddess's grace is believed to cleanse past sins and guide 1 in the direction of the ultimate purpose of Moksha.

प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

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